दि™ चाहता हैA Poem by Freak-En-Stineएक इश्कबाज़ के दि™ की आवाज़अक्सर प्यार करने को दि™ चाहता है अक्सर तुझे पाने को दि™ चाहता है तेरी सुर्ख ™बों से निक™ी आहों को अपने होटों से छूने का दि™ चाहता है. अक्सर रातों में तेरा ख्या™ आता है बंद आँखों से तेरा दीदार होता है खु™ी जो आंखे मेरी तो तुझे खोने का डर सताता है. तू जो आये सामने तो बाँहों में कसने को दि™ चाहता है तेरी खुशबु में, तेरी आँखों में खुद को खोने को दि™ चाहता है. दर्द तुझे हो तो मुझे रोने को दि™ चाहता है पर चाहत "र हकीकत का फर्क ज़मीन आसमान का होता है तेरी हर मुस्कान पर इस फर्क को मिटाने का दि™ चाहता है © 2014 Freak-En-Stine |
AuthorFreak-En-StineKolkata, Dumdum, IndiaAboutBlogger| Anime Lover| Bibliophile| Politically Neutral yet aware | Spiritual | Introvert | Loves to laugh when with close friends | Internet addict more..Writing
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