दि�™ चाहता है

दि�™ चाहता है

A Poem by Freak-En-Stine
"

एक इश्कबाज़ के दि�™ की आवाज़

"

अक्सर प्यार करने को दि�™ चाहता है

अक्सर तुझे पाने को दि�™ चाहता है

तेरी सुर्ख �™बों से निक�™ी आहों को

अपने होटों से छूने का दि�™ चाहता है.

अक्सर रातों में तेरा ख्या�™ आता है

बंद आँखों से तेरा दीदार होता है

खु™ी जो आंखे मेरी तो

तुझे खोने का डर सताता है.

तू जो आये सामने

तो बाँहों में कसने को दि�™ चाहता है

तेरी खुशबु में, तेरी आँखों में

खुद को खोने को दि�™ चाहता है.

दर्द तुझे हो तो

मुझे रोने को दि�™ चाहता है

पर चाहत "र हकीकत का फर्क

ज़मीन आसमान का होता है

तेरी हर मुस्कान पर

इस फर्क को मिटाने का दि�™ चाहता है

© 2014 Freak-En-Stine


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172 Views
Added on March 20, 2014
Last Updated on March 20, 2014
Tags: hindi, romace, love

Author

Freak-En-Stine
Freak-En-Stine

Kolkata, Dumdum, India



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Blogger| Anime Lover| Bibliophile| Politically Neutral yet aware | Spiritual | Introvert | Loves to laugh when with close friends | Internet addict more..

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