Jaane kitne...A Poem by Ankaheeहर ज़ख्म का दर्द है जाने कितने दर्द छुपाए ररखें है इस दि™ के खज़ाने में। हर दर्द का ™म्हा है जाने कितने ™म्हे चुराए रखे है अपने सीने में। हर ™म्हे में दि™ टूटा है जाने कितने ही टुकड़े दफन करके रखे है इस अधूरी सी कहानी में। © 2019 Ankahee |
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Added on January 2, 2019 Last Updated on January 2, 2019 Author
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