पापा वो आप हैं

पापा वो आप हैं

A Poem by saksham
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Dedicated to Dady

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*पापा वो आप हैं*

�-र्व है मुझे मेरी मुकामियत पर,
आज अनदेखे चेहरे भी साथ हैं,
सच कर दूँ�-ा ख्वाब आपका,
संजो कर रख रखा था मुझे आपने पापा वो आप हैं..

अपना पैट काट कर मुझे इस मुकाम तक पहुंचाया है,
अपने हर इशारों मैं उन्होंने हुनर अपना सिखाया है,
जीवन जीना किसे कहते हैं रोज़ बताया है,
झूठ, मक्कारी, हरामखोरी से दूर रहना बताया है,
मांझ कर रख-रखा है मुझे पापा वो आप हैं....

राख को राख ही समझना,
मिट्टी से खूब खे�™ना,
हवा�"ं मै उड़ना म�-र जमीन पर रहना,
बड़ो की इज्ज़त की खातिर झुक जाना,
अपनी इज्ज़त पर आए तो मिट जाना,
अच्छी तरह से पाठ पढ़ाया है,
इतना समझदार बनाया पापा वो आप हैं...

मेंने जो मू�™-मंत्र सीखे उनका आप जाप हो,
मेरे चिरा�- की जीनी भी पापा आप हो,
जो भी मां�-ा उससे पह�™े दि�™ा देते हो,
खर्च हो मुझसे उससे पह�™े कमा �™ेते हो,
मैं आजीवन ऋणी रहूं�-ा आपका,
मैं सब कुछ करते हुए भी, कुछ नहीं कर सकता,
मुझे तो खुद पा�™ने वा�™े आप हो,
"पापा सबकुछ आप हो...."

© 2019 saksham


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Added on June 16, 2019
Last Updated on June 16, 2019

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saksham
saksham

agra, uttar pradesh, India



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