हाँ मै ग™त हु मैं हि गदार हुA Poem by Piyush KarchuliIt is based on a mythological book the ramayanहाँ मै -™त हु मैं हि -दार हु राज्य से निका™ा हुआ भाई का तृष्कार हु भाई के ™िए रचता विनास का रण हु हा मै ™ंकेश का भाई बिभिषण हु भरी सभा मे रावण को समझता धर्म की बाते बताता ™ौटा आ सीता को कह खुद को कायर कह™वाता कु™ के विनाश के डर से विष्णु के चरणो मे अर्पण हु हा मैं ™ंकेश का भाई बिभिषण हु राक्षस कु™ मे जन्मा इनसे अ™- मेरी निति हैं धर्म पे ही च™ना मेरी राजनीति है तुम कहो ™ंका का भेदी हा ™ंका का भेद बताया हु भाई के सत्रु से मि™कर भाई को मरवाया हु हा भू™ जा" उस कृति को जिस कृति से ये रूप अपनाया हु ना देव हु ना -ण हु राम के चरणो का छोटा सा कण हु हा मैं ™ंकेश का भाई बिभिषण हु © 2020 Piyush KarchuliAuthor's Note
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