पयार मैं धीरे धीरे ज™ना अछा ™गता हैA Poem by Mr Shayarपयार मैं धीरे धीरे ज™ना अछा ™गता है
पयार मैं धीरे धीरे ज™ना अछा ™-ता है
खुद ही कहना खुद ही सुन्ना अछा ™-ता है कुछ भी खास नही न जाने क्यों भीड़ से काट कर तनहा च™ना अछा ™-ता है दर्द तड़प "र आँशु जब से मि™े हे मुझको हरदम जखम ताजा रखना अछा ™-ता है जिसने मुझे पर एक भी नजर न डा™ी कभी उसके ™िए हर रोज संवरना अछा ™-ता है मखम™ के नरम -™ीचे भी चुब्ने ™-ने है अब तेरी खातिर धुप मैं ज™ना अछा ™-ता है पयार मैं धीरे धीरे ज™ना अछा ™-ता है खुद ही कहना खुद ही सुन्ना अछा ™-ता है © 2017 Mr Shayar |
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