च™ो समेटते है यादो को फिर से जराA Poem by Mr Shayarच™ो समेटते है यादो को फिर से जराच™ो समेटते है यादो को फिर से जरा च™ो रखते है मां की -ोद मै सर को फिर से च™ो च™ते है दूँढने एक आशियाना नया बहुत भा- ™िये पैसो के पीछे बेठते है कुछ देर अब , देते है इन पेरो को आराम बेपनाह च™ो च™ते है दूँढने एक आशियाना नया बहुत हो -यी दूर बेठे यारो से बाते च™ो च™ते है दूँढने एक आशियाना नया
मुझे मा™ूम है आना हो-ा इन्ही -ा™ियो मै वापस पर ढूंढें-े इस बार मुकाम नया च™ो समेटते है यादो को फिर से जरा "शायर" © 2017 Mr Shayar |
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