च�™ो समेटते है यादो को फिर से जरा

च�™ो समेटते है यादो को फिर से जरा

A Poem by Mr Shayar
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च�™ो समेटते है यादो को फिर से जरा

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च™ो समेटते है यादो को फिर से जरा
च™ो च™ते है दूँढने एक आशियाना नया


च™ो रखते है मां की -ोद मै सर को फिर से
च™ो "ढ़ते है मां का आंच™ नया


च™ो च™ते है दूँढने एक आशियाना नया


बहुत भा- ™िये पैसो के पीछे

बेठते है कुछ देर अब , देते है इन पेरो को आराम बेपनाह


च™ो च™ते है दूँढने एक आशियाना नया


बहुत हो -यी दूर बेठे यारो से बाते
च™ो साथ बेठ कर करते है कुछ पा-™पन नया


च™ो च™ते है दूँढने एक आशियाना नया


मुझे मा™ूम है आना हो-ा इन्ही -ा™ियो मै वापस

पर ढूंढें-े इस बार मुकाम नया


च™ो समेटते है यादो को फिर से जरा
च™ो च™ते है दूँढने एक आशियाना नया


"शायर"

© 2017 Mr Shayar


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Added on August 5, 2017
Last Updated on August 5, 2017
Tags: शायर आशियान�

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Mr Shayar
Mr Shayar

Jaipur, Rajasthan, India



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