एक टुकड़ा आसमाँ ™े आनाA Poem by Mr Shayarएक टुकड़ा आसमाँ ™े आनाजब आ" कभी मुझसे मि™ने तो एक टुकड़ा आसमाँ ™े आना एक मुकम™ उम्र -ुजारनी है साथ तुम्हारे अ-र शिकायते हो मुझसे तो हिज़ाब न रखना जो -ुजरना था वो -ुजर -या है, उसे ताउम्र याद क्या रखना एक नई राह, एक नई मंजि™ है, च™ो च™ते है साथ मैं "शायर" © 2017 Mr Shayar |
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