रूठी हुई क™म को मानते है च™ो आज फिर से ™िखते है

रूठी हुई क™म को मानते है च™ो आज फिर से ™िखते है

A Poem by Mr Shayar
"

रूठी हुई क™म को मानते है च™ो आज फिर से ™िखते है

"

च™ो आज फिर से ™िखते है
रूठी हुई क™म को मानते है
कुछ पन्ने भरते है
च™ो आज फिर से ™िखते है

बचपन की कहानियाँ
-ुद-ुदाते कुछ ™म्हे
पुरानी यादो पर जमी धू™ हटाते है
च™ो आज फिर से ™िखते है

जवानी का वो पह™ा प्यार
वो माँ पापा की फटकार
-ुन-ुनाते वो हसीन प™
फिर से जीते है
च™ो आज फिर से ™िखते है

वो रातो की नींदे
वो सुबह की अं-™ाड़ियाँ
वो तारो को -िनना
वो बद™ो पर चित्रकारी
वो दोस्तों के साथ की मस्ती
फिर से करते है
रूठी हुई क™म को मानते है
च™ो आज फिर से ™िखते है
"शायर"

© 2017 Mr Shayar


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Added on November 19, 2015
Last Updated on August 5, 2017
Tags: mr_shayar, poem, kapil, hindi

Author

Mr Shayar
Mr Shayar

Jaipur, Rajasthan, India



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