मुँह का�™ा

मुँह का�™ा

A Poem by ImRan kabir
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मुँह पर का�™िख पोतने वा�™ों का मन का�™ा होता है

"
मुँह का�™ा होना अब बुरी बात ना रही मेरे भारत में इमरान
कहाँ से आया मुँह का�™ा करके ,खत्म हुआ ये तंज़ खत्म हुआ ये अपमान

किसी मंच पर बैठ कर किताब उठा �™िया एक �-ैर्वतन �™ेखक की
मुँह का�™ा कर दिया कूछ जाहि�™ों नें उस हिंदुस्तानी क�™म सेवक की

शर्म करो मंथन करो , क्यूकि �™ेखक नहीं �™ड़ते हथियार से
अ�-र ठान �™िया किसी �™ेखक नें , तो का�-ज की रणभूमि पर मिटटी में मि�™ा दे�-ा तेरा वजूद क�™म की त�™वार से ..
:- इमरान कबीर

© 2015 ImRan kabir


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Added on October 20, 2015
Last Updated on October 20, 2015

Author

ImRan kabir
ImRan kabir

Khalilabad, Uttar Pradesh, India



About
ImRan Kabeer A critical poet, and writer. And sometimes write the shayri also. more..

Writing
Tanhaai Tanhaai

A Poem by ImRan kabir