Ram Aur rahim

Ram Aur rahim

A Poem by ImRan kabir
"

We should be dedicated only for our Tiranga.

"
तिरं�-े की �™ड़ाई हो तो खून बहे मेरा परवाह नहीं
राम रहीम की �™ड़ाई में उठे हथियार ये हमें स्वीकार नहीं

पत्थर की मस्जिद पत्थर की मंदिर तूटे�-ी तो आह तक न सुनाई दे�-ा
�™ेकिन भाई मरे�-ा जिसका उस बहन की राखी को क�™ाई कौन दे�-ा

थूक दे उसके मुंह पर जो कहे तुझसे �-िराने को मंदिर मस्जिद
पूछ उससे क�™ तूं न रहा तो तेरे मां बाप को पानी कौन दे�-ा

रंजिश है नेता�"ं की दोसतों तुम्हारे ज�™ते मकानों से रोटी सेकने की
न कोई हिंदू है ना कोई मुस्�™िम , आ�" इंसानियत की ब�-िया में फू�™ बु�™ा रहे हैं महकने को !!
:-इमरान कबीर

© 2015 ImRan kabir


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105 Views
Added on August 17, 2015
Last Updated on September 25, 2015

Author

ImRan kabir
ImRan kabir

Khalilabad, Uttar Pradesh, India



About
ImRan Kabeer A critical poet, and writer. And sometimes write the shayri also. more..

Writing
Tanhaai Tanhaai

A Poem by ImRan kabir