AZADI KI DASTAN

AZADI KI DASTAN

A Poem by ImRan kabir

अं�-्रेजों वापस आ�" नहीँ चाहिए हमें ये आजादी
राम के हाथों रहीम कटे �"र रहीम के हाथों राम

कबतक सहें हम ये सब बर्बादी
अं�-्रेजों वापस आ�" नहीँ चाहिए हमें ये आजादी

तुम थे तो हमें भ�-त ,आजाद ,�"र अशफाक मि�™े
तुम �-ये तो दाऊद , प्रज्ञा , �"र कसाब मि�™े

तिरं�-े की फिक्र किसे रही अब किसी का हरा तो किसी का केसरिया हुआ
कोई चोटी में तो कोई है दाढ़ी में उ�™झा हुआ

हम फिर चाहते हैं हिन्दुस्तानी बनना
अं�-्रेजों वापस आ�" नहीँ चाहिए हमें ये आजादी

मस्जिद मंदिर में बैठ ये कराते दं�-ा �"र फ़साद
न राम मि�™े न रहीम बाँटते हैं बम �"र �-ो�™ी का प्रसाद

ये कब �"र कैसे सुधरें�-े ये हम नहीँ जानते "इमरान"
अं�-्रेजों वापस आ�" नहीँ चाहिए हमें ये आजादी !!

:- इमरान कबीर

© 2015 ImRan kabir


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268 Views
Added on August 16, 2015
Last Updated on August 16, 2015

Author

ImRan kabir
ImRan kabir

Khalilabad, Uttar Pradesh, India



About
ImRan Kabeer A critical poet, and writer. And sometimes write the shayri also. more..

Writing
Tanhaai Tanhaai

A Poem by ImRan kabir