मारा जा रहा अब ™ा™ है !!!!!A Poem by Ritu Srivastav Sharanसेठ रामदया™ ने वर्षो
बाद पुत्र सुख
पाया, एक पुत्र
की चाह में
कई भ्रूण हत्या
करवाया... पुत्र के जन्म
से ही दहेज़
की क™्पना उसे
पु™कित कर रही
थी, दहेज़ की
™िस्ट अभी से
बन रही थी... रामदया™ ने मन
ही मन ये
बात ठानी - पुत्र
को बनाना है
ऐसा जिससे इतना
दहेज़ पाऊँ की
बाकी का जीवन
उसी से बिताउ
...... रामदया™ ने अपने
हीरे को तराशा
"र अब उसे
अच्छे कीमत देने
वा™े जौहरी की
थी आशा.... परन्तु यह क्या
! हर "र मि™ी
बस उसे निराशा... भ्रूण हत्या"ं का यह
रिज™्ट आया...हीरे ही
हीरे रह -ए
थे बस, ना
था कोई खरीदने
वा™ा ...... वर्षो की मेहनत
रं- ™ायी ....कही
से एक जौहरी
की खबर आई... पर हीरो की
भरमार ने जौहरी
का फायदा करवा
दिया.... जौहरी ने अपने
पन्ने का मू™्य
बता दिया .......... यह संकट बड़ी
भारी थी परन्तु
परिवार भी तो
बढ़ानी थी .. रामदया™ भी इस
पर भी रो
कर हो -ए
राजी...परन्तु इस baar पन्ने
ने प™ट दी
बाजी.. भरी महफ़ि™ में उसने
हीरे को ठुकरा
दिया "र हमारी
छोटी सोच को
दिखा दिया... पन्ने का कथन
कुछ इस प्रकार
था ..... ना बेटी प्यारी,
ना पूत प्यारा....कोख तो
अब व्यापार है..केव™ पैसे
प्यारे है इन्हें
"र दहेज़ से
प्यार है.... क™ तक बेटियां
चढ़ी ब™ि "र
अब बेटियों ही
का इन्तेजार है....क्योंकि अब बेटियां
हो -यी कीमती
..ना रहा बेटो
का कोई दाम
है.... पर हाय ....रामदया™ को
अब भी होश
ना आया...वह
सोच रहा था
क्यों मैंने बेटियों
को मर्मया ....बस
एक बार पुत्रवधु
™े आऊ.....फिर
बेटे से बेटियों
की फ़स™ करवाऊं-ा... सारे खर्च सुद
समेत वापस पाउँ-ा... अब भी अस्पता™ों
का वही हा™
है ... भ्रूण हत्या"ं का ना
सिकुड़ा जा™ है... क™ मारी -यी
बेटियां "र अब मार
जा रहा ™ा™
है...... © 2015 Ritu Srivastav Sharan |
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Added on December 19, 2015 Last Updated on December 19, 2015 AuthorRitu Srivastav SharanDelhi, Delhi, IndiaAboutI am a proud mother of my sweet son and proud wife of my sweetest hubby. more.. |