Blooming After Winter

Blooming After Winter

A Story by Vaishnavi Kumari
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Have you ever loved someone from afar, your feelings a constant ache in your heart?Unrequited love. Years of longing. A chance encounter reignites the flame. Can their love bloom or are they destined.

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अक्षत एक मस्त मौ�™ा �™ड़का जिसके पिता की मृत्यु के बाद मानों जैसे जिमेदारियो का पहाड़ टूट �-या जो हर तरीके से उनपे निर्भर थे, बीतते समय के साथ खुद को वा पूरे परिवार को सम्हा�™ना सिख �™िया, वही वसु अपने अपने भाइयों �"र पापा की �™ाड�™ी जो बड़े नाज से पा�™ी जा रही थी।
अक्षत की मु�™ाकात वसु से विद्या�™य में एक शिक्षक के रूप में हुई जहा उनकी बहन पढ़ती थी, शुरुवात में अक्षत अंजान �™ो�-ों के बीच एक कमरे में जा बैठा रहता था खा�™ी समय में, वही वसु अक्षत के चेहरे को धीरे धीरे पढ़ने �™�-ी थी �"र साथ ही उसे इस नए माहौ�™ में ढ�™ने में मदद करने �™�-ी थी।
२�"३दिन बीते, फिर अक्षत आना बंद हो चुका था कारण से अंजान वसु बस खुद को दि�™ासा दे रही थीं,"शायद आज उठने में �™ेट हो �-या हो�-ा; �™�-ता है तबियत खराब हो �-ई हो�-ी; नहीं उनका परीक्षा हो�-ा शायद हां इस�™िए नहीं आ रहे" पर समय बीतता �-या �"र सब्र का बांध टूटते फिर पता करने पे मा�™ूम हुआ की बस वो डेमो क्�™ास के �™िए आए थे, "he doesn't make avail all the required certificates for being a teacher in our school so we can't appoint him."
कुछ के �™िए बस ये एक साधारण सा बात था पर वसु जैसे कुछ उसके अंदर टूट सा रहा हो,
पर भावना�"ं को अ�™�- रखा जाए तो अक्षत ने कुछ इतने अच्छे से क्�™ास में अपने विषय को बताया वा समझाया की सिर्फ वसु ही नहीं �"र भी कई �™ो�- उनसे , 'side coaching' �™ेना चाहते थे �"र उन्होंने ठान भी �™िया विद्या�™य में अनेक पर्यासो के बाद मना किये जाने पर, वसु ने तो पह�™ी मु�™ाक़ात में ही पूछ �™िया था ish बारे में जवाब भी मि�™ �-या था पते के साथ।
इंतजार तो बस दूसरे दिन विद्या�™य से ज�™्दी �™ौटने का था �"र अपने दोस्त को मनाते हुए वसु उसे खीच कर कड़कती धूप में �™े �-ई मंजि�™ दूर थी पर पहुंच �-ईं शाम हो चुका था कमरे में अंधेरा सा �™�- रहा था धूप की साजिश जो थीं, नजरे हमारी टकराई चारों �"र सन्नाटा फै�™ाते हुए, पह�™े की क्�™ास खत्म होने की थी हम �™ेट थे पर सुकून पा चुकी थीं उन्हें देख कर बताया हमारे बारे में बाकियों को �"र बात हुई थोड़ी फिर च�™ पड़े दोनो अपने रास्ते।

कोचिं�- सेंटर दूर होने की वजह से पापा ने मना कर दिया था, वसु उदास रहने �™�-ी पर बात समझते हुए वो मान �-ई।
बीतते दिनो के साथ वसु वहा जाने वा�™े दोस्तो से वहा के बारे में हर कुछ दिनों में पूछती, �™िखा हुआ निहारती समय बिता फिर सा�™ अक्षत अपने काम में �™�-ा रहा �"र दूसरी तरफ वसु भू�™ने का प्रयास करते रही कई असफ�™ता�"ं के बीच।
फिर खबर आई इन सब के बीच की अक्षत फिर से आने वा�™े है पढ़ाने को वसु तो बस थम से �-ई थी की मानो कैसे वो इस पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करे, पर वो इसे अनसुना करने की कोशिश करने �™�-ी �"र वो दूसरे तरफ मुड़ �-ई पर सामने से अक्षत जा रहा था, वो नहीं पहचान पाए वसु को आखिर समय की मार जो पड़ी थी।
दिन, हफ्ते महीने बीतते �-ए पर शांत रहने वा�™ी वसु में बद�™ाव आ रहा था जैसे अंदर का शोर जो घर कर चुका था अब सब बंदिशे तोड़ रहा था ह�™्के हाथों से, वसु की नई पहचान बन रही थी अब अक्षत के सामने, घर में हो रही बद�™ते समय के परेशानी से झुज्ती वसु अब चिड़�"चिड़ा होने �™�-ी थीं हर छोटे बात पे �-ुस्सा (argu) करने �™�-ी थी बिना जाने देखे की सामने कौन है जिसका शिकार अक्षत भी कई बार हुआ, ये हरकत देखते हुए पहचान बद�™ रही थीं पर वही दूसरी तरफ वसु जिसे प्यार की चाहत थी, साथ को जरूरत थी उसे वो ढूंढने �™�-ी थी कही न कही उम्मीद की अक्षत इस दर्द को झे�™ा है तो समझे�-ा पर ये सोच उसकी एक तरफा थी।
हा�™त से वो इतना मजबूर हो रही थी की किसी के छूने से भी वो सह�™ जा रही थी।
बीतते समय में अक्षत के जहन में कोई �"र घर कर रहा था वसु इस बात को जानते हुए अंजान होने का पर्यास कर रही थी �"र अपनी भावना�"ं को दफनाते, वो घर किसी अन्य भावना से थी पर वसु को बुरा �™�- रहा था, समझदार बनने की कोशिश में वो खुद को को रही थी �"र बुरा मानने के कारण अक्षत के विषय में अच्छा करने �™�-ी थी, पर उसपे इतना निर्भर की कोई प्रश्न हो सिर्फ उसके समझाने पे ही सिर्फ आता, धीरे धीरे उसे पता च�™ा कि वो वसु ही थी जो पह�™ी बार आने पर बात की थी �"र आने का पूछी थी।
निर्भरता के कारण इन बीच उसने कोई दूसरे से पढ़ना कवारा ना समझा तो वो अक्षत को ही विद्या�™य के अंत में पढ़ाने को बो�™ी वो मान भी �-या फिर दिन महीने बीते इसी बीच दोनों के बीच फिर कुछ बात होने �™�-ी, कभी मीटिं�-्स तो कभी किसी के कारण �™ेट होने पर इंतजार करना उनके अ�™�- अ�™�- बहानों से उस पे भी वसु खुश रहने �™�-ी, समय बीतता �-या �"र फिर विद्या�™य का आखरी "परीक्षा, 10th BOARD EXAM" डर भी था �"र बेचैनी भी की आ�-े क्या हो�-ा कुछ विषय के कुछ भा�- बाकी थे जिसे अक्षत ने वसु के साथ �"र भी कई पढ़ रहे वहा पे �™ो�-ों की मदद की बिना कुछ सोचे बस कैसे भी मानो हम पास हो जाए हमसे ज्यादा उनकी चाह हो �-ई।
इन बीच कई कार्यक्रम आयोजित हुए जिसमे एक दूसरे पे बात रखना हुआ, भीड़ में फिर पह�™े की तरह अ�™�- बैठे हुए तुम्हे पाया सोचा शायद फिर जरूरत हो पर बद�™ चुका था कुछ, कई बात पता च�™ी की कुछ ने उन्हें �-�™त मायनों से चिन्हित किया तो कुछ की नजरे प्यार झाक रही थी उनमें, पर अच्छा �™�-ा की अक्षत ने बात खुद से बताई ना की किसी �"र से पता च�™ा �"र उम्मीद की किसी �"र को पता न च�™े, ना ही उस �™ड़की का नाम �"र कैसे उसे समझाया की �-�™त है अभी इस उम्र में शायद अपने तकाजे से, इन्हीं बीच वसु सोच में च�™ी �-ई की कभी कभी अच्छा �™�-ता हैं जब कोई आपसे उम्मीद रखे �"र आप उसपे खरे उतरते हों।
परीक्षा बीती परिणाम आया हम सब टॉप किए खुशी चेहरे पे उनके भी थी हमसे ज्यादा, ऐसा बाकी कह रहे थे मु�™ाक़ात तो अब हुई न वसु का मानों बस को �-या खुद से वो अपने तक�™ीफों में �-ुम सी होने �™�-ी, बस बात हुआ करता कभी सा�™ में 3�"4 बार किसी कारण से अंजान की तरह पर वसु इसमें भी खुशी पा रही थीं क्योंकि बिना नंबर सेव के आवाज से पहचान �™ेना हर किसी के बस की बात नहीं।
हर कोई मजाक में बस एक सवा�™ आखिर तक रहा सबका, की शादी कब करनी है??
मजाक उन्पे होता �"र दर्द मानो वसु को होता सच तो था पर दर्द होना जायज या नहीं ये कहना मुश्कि�™ था।
बीते 2 सा�™ों में एक बार फिर किए �-ए इसी मजाक में इस बार जवाब आया की "शायद इस बार ये सच हो", कुछ था नहीं दोनों के बिच पर �™�-ा कुछ टूटा, कुछ जो पास नहीं था फिर भी दूर जाने का डर जिंदा हो �-या �"र उफान �™ेने �-या, वसु मानों अब जो स्थ�™ रही थी दूर होकर ही सही वो कतरा कतरा फिर बिखरने �™�-ी मानों किसी ने �-ाट खो�™ दी हो मा�™े की।
फिर भी खुद को सम्हा�™ते व्यस्त रख ध्यान भटकाने में �™�- �-ई, वसु को पता था ये तो होना ही था एक दिन �"र या थोड़ा �-�™त भी है पर मन को समझना की किसके �™िए कैसी भावना मन में रखे बस में नहीं था, पर अंजान की ये इस कदर बात सामने आये�-ा।

२ महीने बाद :�"
एक फोन कॉ�™ �"र फिर सब जिंदा हो �-या, वसु जो सब भू�™ने के प्रयास में थी मानो किसीने घाव जिंदा कर दिया अपने नाखूनों से खरोच कर �"र नमक का काम उनके कॉ�™ �"र तस्वीरों ने पूरा किया सब थम चुका था बस आंसू थे जो थमे समय का उ�™ंघन कर रही थी, "Having a feeling of heartbreak without being in a relationship with someone is worst"वा�™ा फी�™िं�- हों रहा था, पर बात थी किसी को क्या बताती, जिसपे कभी न हक था वो कैसे जताती, बस सोचती रही बेशक बेहक वा�™े रिश्ते में नाराज�-ी रखना भी �-ुनाह सा हो रहा है।
समय बिता वसु बस खुश थी की "भ�™े ही वो किस्मत में किसी �"र के पर चाहत तो मेरी थे"


[कभी कभी कुछ रिश्तों के प्रति हमें क्या भावना रखनी है ये हम जानते है पर उसपे काबू नहीं रख पाते �-�™त होते हुए भी करते है।]
हर कोशिश भू�™ने के नाकाम होने के बाद, दफन करने की आखरी कोशिश एक पन्ने में समेट कर,

"मु�™ाक़ात तुमसे हुई थी तो आंखों में तेरे किरण की एक चमक थी
आंखें तुम्हारी हमसे मि�™ी तो कुछ अक्स मुझमें तुमने अपना भी तो पाया हो�-ा ना,

भ�™े ही दूर से तुझे देखा पर अपने पास तुमने कभी हमें भी तो पाया हो�-ा ना
सर्द में भी �-र्मी का एहसास �"र �-र्मी में शीत�™ हवा का झोंका जो उड़ा �™े जाता नि�-ाहों को
हमेशा नहीं एक प�™ तो तुझे भी आया हो�-ा ना,

माना बातें एक तरफा हो सकती हैं पर यादें भी तो तुमने साथ बुनी थी ना
भ�™े हीं प्यार एक तरफा हो हमारा पर साथ हमेशा देने की कसमें तो तुमने भी खाई थी ना,

माना जो बो�™ रही मैं वो सब झूठ पर सच कहना याद तुम्हे भी मेरी तो आई हो�-ी ना
सच कहना झूठ की इस दुनिया में दूसरो में भी मेरे अक्स को ढूंढ़ने की कोशिश की थी ना,

अ�-र हां तो वो जो मुस्कान तेरे चेहरे पर है वो मेरी है, सिर्फ मेरी...!!"
_वसु

अब भी यादों में वसु के अक्षत जिंदा है �"र दूसरो में उसका अक्स ढूंढ नाकामी का सामना कर रही �"र पह�™े से ज्यादा मजबूत बने का प्रयास में �™�-ी, नए रिश्तों की बुनियाद रखने को तैयार।

© 2024 Vaishnavi Kumari


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Vaishnavi Kumari
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Added on July 10, 2024
Last Updated on July 10, 2024
Tags: #emotion, #destined, #first_love, #relatable, #nonfiction, #love, #affection

Author

Vaishnavi Kumari
Vaishnavi Kumari

Greater Noida, India



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Prepare to be dazzled by a wordsmith extraordinaire! I wouldn't call myself your average writer. I delve deeper, weaving tales both real and imagined. From the whispers of the everyday to the thundero.. more..