नमक की चादर पर गो™ चाँदA Story by Shubhiयाद आते है वो प™
ये उन दिनों की बात है,
जब मैं फ्रंट आफिस में हर प™ शैतानी किया करती थी।मानो मेरी छोटी सी दुनियां बन -यी थी वो। सुबह-सुबह ज-ना "र फिर ज™्दी से ब्रेकफास्ट करना, उतनी ही देर में एक आवाज़ आती है- शुभी ज™्दी ख़त्म करो सर रिसेप्शन पहुँच -ए है। बस उतने में ही हम अपनी चाय अधूरी छोड़ कर भा-ते। सुबह की पह™ी बस आने की खबर मि™ते ही सब अपनी ज-ह पर खड़े हो जाते "र दिन की शुरुआत हो जाती। वहां पूरे दिन ताबड़तोड़ काम करने के बाद भी ™बों की मुस्कान क़ायम रहती थी। पह™ी बस सुबह 10 बजे तो दूसरी 12 बजे तक आती, -ेस्ट के ™बों से टूर -ाइड की तारीफ सुनने का नज़ारा ही कुछ अ™- रहता। दोपहर का खाना खाते ही हम रिसेप्शन वापस पहुँचते "र नींद का बु™ावा आया जाता। फिर क्या बैक आफिस में मैं "र Zeniya Siddiqui एक एक नींद ™े ™ेते। फिर आया शाम का वक़्त, पूरा फ्रंट 'फिस रिपोर्ट्स बनाने में मसरूफ़ रहता "र मैं zeniya "र Karan Vyas सर को परेशान करती। मस™न डांट खा कर हँसने का भी अपना मज़ा था। रात होते ही फू™ मून जाने की तैयारी करने ™-ते। सफ़ेद नमक की रेत पर चाँद की रोशनी की खुशी ही कुछ "र थी, मानो कोई ख़्वाबदीदा जहां मि™ -या हो। रात में फिर अपने अपने टेंट में आकर पा-™ो की तरह हम तीनों (Anamika Rajput Tanushka Pandey) हस्ते "र सबको परेशान करते। यहां तक ™ो- हम तीनो को अ™ार्म घोषित कर दिया था। रात में ब-™ वा™े टेंट में हं-ामा करते "र सुबह-सुबह Zeniya "र Kinjal की मम्मा बन उन्हें उठाना। उस ज-ह ने मुझे पूरा बद™ दिया, वो महज़ एक जग़ह नही ब™्कि ख़ुदा की रहमत है। बहुत याद आता है मुझे। बस उन यादों को फिर से जीने की तमन्ना है, उन प™ों को फिर से जीने की -ुज़ारिश है। © 2018 Shubhi |
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Added on May 4, 2018 Last Updated on May 4, 2018 |