वो औरत

वो औरत

A Poem by Ayush Mishra
"

Dedicated to some of my nearest gems who always surround me..

"
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वो �"रत क्या नहीं कर सकती..

अपने पति को सवारती है..
उसकी काबी�™ियत को थोड़ा �"र निखरती है..

अपने बच्चों को पा�™ती है..
उन्हें सीने की �-र्मी में रख दुनिया के दिखावे �"र फरेब से बचती है..

एक बहन बन अपने भाई का हाथ थमती है..
उसे �"रतों की इज्जात �"र प्यार की बातों से सवांरती है..

एक दोस्त बन हमसफ़र सा साथ खड़ी नजर आती है..
दुनिया की बातों को बिना देखे.. बिना सुने मुस्कुराती जाती है..

एक �"रत क्या नहीं कर सकती..
एक �"रत क्या नहीं कर सकती..

जिसे तुम �-ंद�-ी कहते हो ..
जिसे तुम �-ंद�-ी कहते हो ..
उस दर्द से हर महीने जूझती है वो..
�"र फिर भी दुनिया के सामने अट�™ �"र अडि�- नजर आती है वो..

वो घर का बोझ...वो घर का बोझ नहीं है ..
तुम्हारे ही साथ बड़ी हुई तुम्हारी बहन..कुछ तुमसे सीखती है..
बहुत कुछ तुम्हे सीखा जाती है..

वो एक दोस्त..वो एक दोस्त..
जिसकी मुस्कराहट पे तुम मरते हो..
उसकी आँखों में एक झ�™क देखो तो सही..
ये वही आँखे है..जो दुनिया को सवारती है..
माँ..बहन..बीवी... एक जस्बात है..
वो दोस्त बन कर हर रूप में तुम्हारे साथ है..

© 2020 Ayush Mishra


Author's Note

Ayush Mishra
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Added on March 7, 2020
Last Updated on March 7, 2020
Tags: Love, Care, Respect, Society

Author

Ayush Mishra
Ayush Mishra

Navi Mumbai, India



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I love to read and always wish to write something, something which inspire me, something which touches my heart, something which I love the most. In just the age of 24, my only wish to do something w.. more..

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