धूमि™ नी™ बिंदुA Poem by Satyam DwivediThis poem is inspired by the Carl Sagan's book Pale Blue Dot
धूमि™ नी™ बिंदु
देखो यह धूमि™ नी™ बिंदु, संचित है जिसमें पंच सिंधु, इसमें ही जीव निवासित है, अस्तित्व सक™ विस्तारित है l जिससे भी तुमको प्यार हुआ, या यदा कदा प्रतिकार हुआ, है देखा सुना जहां तक भी, उसके भी पार हुआ जो भी, चाहे सुदूर या निकट हुआ, सब इसी बिंदु में प्रकट हुआ। हो समाक™ित सारे सुख-दुख, या हो विचार धारा सम्मुख, जितने भी पंथ विशेष हुये, या व्यावसायिक उप™ेख हुये, सारे शिकार वा आखेटक, कपटी कायर या हो नायक, सर्जक पा™क या संहारक, राजा मंत्री या संचा™क, जितने भी प्रेमी यु-™ हुए, जो विरह अ-्नि में विक™ हुए, पितु मात आदि संबंध सक™, वैज्ञानिक या चंच™ पा-™, हर भो-ी यो-ी संन्यासी, मह™ों में वास या वनवासी, जितने भी हुए भ्रष्ट नेता, जो न्याय नीति के विक्रेता, जितने भी संत महंत हुए, सब इसी बिंदु में प्रकट हुए। फै™ा अनंत यह सृष्टि -ात्र, पृथ्वी उसमें है बिंदु मात्र, पर ठहरो ज़रा तनिक देखो, मानवता कहीं -ई है खो, अंतर की प्यास बुझाने को, अपना वर्चस्व बढ़ाने को, नित नए हुए हैं युद्ध यहाँ, मानव समान कोई क्रुद्ध कहाँ, देखो हिट™र मा" स्टा™िन, चं-ेज़ खान "सामा बिन, देखो फिर कृत्य कसाई का, Crusade इस्™ाम-ईसाई का, मुस्™िम का विश्वघात देखो, हिन्दू का जात पात देखो, देखो शूद्रों का तिरस्कार, दुर्ब™ अब™ा का ब™ात्कार, फिर देखो सती प्रथा बुरका, शोषण नर द्वारा नारी का, देखो मानव की अमित भूख, कांपे सब जीव देख सम्मुख, देखो दोहरा चरित्रधारी, निपट निरंकुश अत्याचारी, अब देखो वर्तमान ™ी™ा, सारा वन जीव खनिज ™ी™ा जं-™ के जं-™ काट दिए, क्™ाइमेट चेंज का घात ™िए, ये जघन्य उत्पात सक™, कारण इसका इतना केव™, बन सके मनुज स्वामी क्षण भर, इस नी™ बिंदु के आं-न पर इस नी™ बिंदु के आं-न पर l मानव का यह बचकाना भ्रम कि है विशेष इस ज- में हम पड़ जाता है कुछ खिन्न-भिन्न ™- जाता जब यह प्रश्न चिह्न क्या इस अनंत नभ मंड™ में हम ही बस एक कमंड™ से? दिखती ना हमें उम्मीद कही जो हमें बचा ™े हमसे ही | बस यही बिंदु इक है झू™ा जीवन है जहां फ™ा फू™ा दिखती अन्यत्र ना आश कहीं सब जीवों का आवास यहीं यह नी™ बिंदु आधार भूत जीवन का है साकार मूर्त पर जीवन सदा रहे अविच™ ना हो कोई अब उथ™-पुथ™ इतना मनुष्य यदि समझ सके निज स्वार्थ भो- से उ™झ सके तो जीवन चक्र च™े यूं ही वरना कोई उम्मीद नहीं ll ~ पंडित सत्यम द्विवेदी © 2024 Satyam Dwivedi |
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Added on July 21, 2024 Last Updated on July 21, 2024 Tags: #palebluedot, #philosphy, #spirituality AuthorSatyam DwivediRewa, Madhya Pradesh , IndiaAboutNew to writing and poetry. Interested in philosophy spirituality and psychology more.. |