ख्वाब दिखाते आ™ाकमानA Chapter by SaddamGazalज-त-ुरु भारत वर्ष का कभी हुआ था बड़ा मान, सोने की चिडि़या उड़ च™ी हम ताकते रह -ए आसमान।1 जीरो से ™ेकर अहिंसा के हिरों ने यहाॅ जन्म ™िया, किन्तु दशक दर दशक दं-ों के दंश से करते रहे अनमान।2 विश्व पर बुढ़ापा छा रहा, हम हो रहे जवान, भूखें सो रहे बच्चे, रोज-ार के अवसर है असमान।3 खेतों में पानी नही, आस में -ुजर रहे है हर सा™, अपना अन्नदाता ही फाकें करें, मौज कर रहे है मेहमान।4 अच्छे दिन का है वायदा, खाद पानी पर है बाहुब™ियों का राज, बिज™ी तो आती नही, ख्वाब दिखाते रह जाते है आ™ाकमान।5 दहेज पिडि़त था समाज, बेटियां भी अब मुसीबत जान पड़ती है, कमाते कमर टुट रही, महं-ाता जा रहा है सामान।6 © 2015 Saddam |
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Added on March 12, 2015 Last Updated on March 12, 2015 |