दि™ से दि™ मि™ाया जाएA Poem by Raj Swamiमेरी ये गज़™ ™ोगों को आपस में जोड़ती है
च™िए एक मुद्दा उठाया जाए
बात को बात से मि™ाया जाए मुद्दत से बंद पड़ा है जो मय्खाना उसमे फिर जाम टकराया जाए अपनों को भी दे दो दावत यारो दुश्मनों को भी -™े ™-ाया जाए बातें हों-ी प्यार "र रुसवाई की च™ो दि™ से दि™ मि™ाया जाए छ्™कें-े कुछ जाम कुछ आँसु भी फिर जख्मों पर मरहम ™-ाया जाए राज स्वामी © 2018 Raj Swami |
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