![]() बहकाA Poem by Prashant Sinha Writings![]() Confusion between we learn from old generation and reality of life![]() क्या बताऊँ थोड़ा बहका हूँ बुजुर्�-ों की बात से थोड़ा चौंक हूँ
वह कहते थे की दुःख का जितना सामना करो�-े
दि�™ मजबूत हो�-ा, मन में विस्वास जा�-े�-ा दुःख सहने की ताक़त तो मि�™े�-ी ही सुख में धीरज हो�-ा
हमारे साथ तो कुछ उ�™्टा ही हुआ दुःख सहते सहते एक दिन ऐसा आया ना दुःख सहने की ताक़त रही �"र सुख से मन डरने �™�-ा
क्या बताऊँ थोड़ा बहक हूँ माता पिता की बात से थोड़ा चौंक हूँ
वह कहते थे अच्छाई का परिणाम अच्छा हो�-ा हार के बाद जीत हो�-ी जो मुश्कि�™ों को धैर्य से पर कर जा�" फिर हमेशा अच्छा हो�-ा
हमारे साथ कुछ उ�™्टा ही हुआ अच्छा करते करते हमारा चरित्र ही बद�™ �-या
जीत की ख्वाइश ने हमें ही बद�™ दिया
जब अच्छा होने की बारी आई, हमारा समय हो �-या © 2016 Prashant Sinha Writings |
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