मौन करूं धारण कैसेA Poem by Mahi sain(Mahesh)
मुझको अपनी पीड़ा को, कितने मुक्तक कितने -ीत "र अनेकों कविताएं, कवि की बेचैनी को ज- में, जब भाव की बूंदें अंतस में बन शब्द टपकने ™-ती हैं, आंसू कितने भी बह जायें, स्वप्न बडा़ ही व्याकु™ है श्रृं-ार श्रृष्टि का करने को, नहीं कठिन है ™क्ष्य भेदना विश्वास अट™ हो यदि प्रण में, प्राण ™-ा दे प्रण में जो, निर्म™ अनुरा - नहीं देखा स्नेहि™ भाव नहीं देखा, मन की व्यथा-दशा आंखों में, © 2019 Mahi sain(Mahesh) |
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Added on September 6, 2019 Last Updated on September 6, 2019 Author
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