हाँ मैं आजाद हिंदुस्तान �™िखने आया हूँ

हाँ मैं आजाद हिंदुस्तान �™िखने आया हूँ

A Poem by Mahi sain(Mahesh)
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A new poem on new generation on independence day

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भूखे, �-रीब,बेरोज�-ार, अनाथो �"र �™ाचार की दास्तान �™िखने आया हूँ
हाँ मैं आजाद हिंदुस्तान �™िखने आया हूँ|

एक ही कपड़े में सारे मौसम �-ुजारनेवा�™े
सूखा,बाढ़ �"र �"�™े से फस�™ बर्बाद होने पर रोने �"र मरनेवा�™े
कर्ज में डूबे हुए उस अन्नदाता किसान की जुबान �™िखने आया हूँ
हाँ मैं आजाद हिंदुस्तान �™िखने आया हूँ|

मैं भ�-त, सुभाषचन्द्र �"र आज़ाद जैसा भारत माँ के सपूत तो नहीं
�™ेकिन इन्हें सिर्फ जन्म �"र मरण दिन पर याद करने वा�™े �"र आँशु बहाने वा�™े,
उन्हें इन सपूतों की याद दि�™ाने 
फिर से ब�™िदान �™िखने आया हूँ
हाँ मैं आजाद हिंदुस्तान �™िखने आया हूँ|

मजहब के नाम पर ना हो �™ड़ाई
जाती धर्म के नाम पर ना हो किसी की पिटाई
सब मि�™-जु�™कर रहे भाई भाई
जाती धर्म से ऊपर उठने के �™िए इम्तिहान �™िखने आया
हूँ
हाँ मैं आजाद हिंदुस्तान �™िखने आया हूँ|

सीमा पर देश के �™िए �™ड़नेवा�™े
अपनी जान की परवाह किए बिना
देश पर मर मिटने वा�™े
मैं देश के ऐसे वीरों को स�™ाम �™िखने आया हूँ
हाँ मैं आजाद हिंदुस्तान �™िखने आया हूँ|

सब के पास हो रोज़�-ार �"र अपना व्यापार 
देश मुक्त हो ग़रीबी, बेरोज�-ारी,ब�™ात्कार �"र भष्ट्राचार 
मैं देश के �™ो�-ो के सपने �"र अरमान �™िखने आया हूँ
हाँ मैं आजाद हिंदुस्तान �™िखने आया हूँ

© 2019 Mahi sain(Mahesh)


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Mahi sain(Mahesh)
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Posted 5 Years Ago



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Added on August 14, 2019
Last Updated on August 14, 2019