कैदी

कैदी

A Poem by Charoo Dubey
"

A prisoner has spent years in prison that he has grown old and found solace in prison itself. This hindi poem describe the status of that old prisoner.

"

एक जोड़ी आँखें
ढूढती है एक टुकड़ा आसमाँ
जे�™ की चारदीवारों से परे
यही एक जोड़ी आँखे,
जिंद�-ी की बाट जोहती
बूढी बोझि�™ साँसे,
पेशानी की झुर्रियां
�"र चेहरे के स्याह घेरे ....
कदम उठते हैं च�™ते हैं
पर आ�-े बढ़ते ही नहीं
एक ठहरे पानी से शायद।
हथे�™ियों की तपिश
वही है म�-र,
जताती है
चाह जीने की कही,
सिरहाने के कम्ब�™ से
�™�-े कुछ ख्वाब
दबे पाँव आते हैं ....
सि�™वटें पड़े होंठों पर
कहीं मुस्कान है शायद।

© 2015 Charoo Dubey


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115 Views
Added on October 12, 2015
Last Updated on October 12, 2015
Tags: Hindi, poem, kavita, prison