KhamoshiA Poem by Anurag bhartiA deep emotional poetry
मुझे करीब से जानना चाहते हो तो मेरी खामोशी सुन ™ो।
मेरे दर्द बाँटना चाहते हो मेरा हमदर्द बन कर तो मेरी खामोशी सुन ™ो। मेरे चुपी के पीछे छुपे राज को जानना चाहते हो तो मेरी खामोशी सुन ™ो। किसी ने इतना समझने की कोशिश ही नहीं की मुझे तुम समझना चाहते हो तो मेरी खामोशी सुन ™ो। किसी ने मुझमें इतनी दि™चस्पी ही नहीं दिखाई म-र तुम दि™चस्प हो मुझमें तो मेरी खामोशी सुन ™ो। हर इंसान के खामोशी के पीछे उसके टूटे हुए दि™ का शोर होता है इस™िए मेरी दास्ताँ सुनना चाहते हो तो मेरी खामोशी सुन ™ो। © 2020 Anurag bharti |
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Added on May 10, 2020 Last Updated on May 10, 2020 AuthorAnurag bhartiDarbhanga, Bihar, IndiaAboutI am ug student from darbhanga bihar writing is my passion more..Writing
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