बाज़ारA Story by Seema singhमैने ये कहानी अपनी बेटी के ™िए ™िखी है या ये कहूँ की बेटी की वजह से ही ये कहानी ™िख पायी हूँ ..कई दिन से टा™ रही थी बहुत सारे काम पड़े थे बाजार के बस आ™स सा आ रहा था कौन जाए.. दरस™ बड़े परिवार से होने के कारण कभी अके™े कोई काम किया ही नही वो आदत आज भी तं- करती है .. मिनी को पटाया थोडा सा काम है बस -ुमटी तक जाना है प्™ीज़ मेरा बच्चा मेरे साथ च™ो-ी? मिनी ने भी मौके का पूरा फायदा उठाया "के म-र ज्यादा देर मत ™-ाना "र धीरे से अपनी ™िस्ट भी सुना दी मरता क्या न करता भर दी हामी संडे फिक्स हुआ ...जैसे तैसे संडे का का शुभ दिन आया ..कामों की ™िस्ट "र सब फरमाइशें सुन कर हाँ हाँ करते हुए हम माँ बेटी निक™ पड़े ... -ेट से ही मिनी शुरू माँ रिक्शा कर ™ो मैंने कहा हाँ बेटा रिक्शे से च™ें-ें ...फिर से बो™ पड़ी कब करो-ी?सामने जा तो रहे हैं रोको तो .. मैंने एक रिक्शेवा™े को तय किया "र सवार हो ™िए ...बस जी मिनी तो ऐसे शान से बैठ -यी जैसे किसी नवाब की ब-्-ी मे हो -र्दन एक दम सीधी उसको देख कर मेरी बेसाख्ता हँसी छूट -यी मुझे ऐसे हसता देख शरमा -यी क्या है तभी तो आपके साथ आती नही हूँ... मैंने कहा सॉरी बुरा मत मानो ... हम बाज़ार पहुंचे मिनी जी रिक्शे से कूदीं छपाक!!! पानी मे ..कुछ छींटे मेरे ऊपर भी आये "र देवी जी की सूरत तो देखने ™ायक थी मैंने हा™त की नजाकत को समझते कहा च™ो बेटे पास मे न™ है पह™े आपके हाथ धु™वा दें ...वैसे तो हाथों से ज्यादा चेहरे को पानी की दरकार थी ....अपना नेपकिन दिया हाथ मुँह पोछने को... "र टे™र मास्टर की "र बढ़ -ए हमेशा की तरह मास्टर साब ने कहा आप काम निपटा ™ीजिए मै पांच मिनट मे पैक करता हूँ मै समझ -यी अभी ™डके को भ-ाते हैं ये ..मैंने एक नजर अपनी बेटी पर डा™ी इनको ™ेकर कहाँ जाएँ? मै कुछ बो™ती उस पह™े मिनी बो™ पड़ी च™ो मम्मा मेरी शोपिं- कर ™ो तब तक... हमने कहा च™ो आ" ... उनकी मेचिं- की पिन रबर बेंड"र भी जाने क्या क्या जो भी बो™ा मेडम ने झटपट ™िया "र आ-े बढने के ™िए मिनी की "र अपना हाथ बढाया तो ऐसा ™-ा जैसे मिनी के पैर तो चिपक -ए हो मैंने मुड देखा तो पैर तो नही हाँ नजर जरुर चिपक -यी थी मिनी की .... सामने चाटवा™ा खड़ा था रोड पार कर के मिनी की नजर "र दि™ दिमा- सब जाम हो -या था ..मुह के साथ साथ जैसे आँखों से भी ™ार टपकने को तेयार.. मम्मा -ो™-प्पे!! मैंने सर से पैर तक मिनी को देखा जैसे याद दि™ा रही थी ये ™िस्ट मे कहाँ था?"र मिनी की आँखों से जवाब आया ये भी तय करने की चीज़ है मै आज तक कभी बिना खाए -यी हूँ आपने सोच भी कैसे ™िया मैंने दोनों "र देखते हुए रोड पार की "र जाकर ™- -ए ™ाईन मे .. बहुत भीड़ जो थी उसकेपास मिनी जैसे फैन "र मेरे जैसे ™ाचार दोनों तरह ™ो- थे धीरे धीरे बारी आ ही -यी हमारी भी ... मिनी को पत्ता दिया तो घूर कर पूछा "र आप ? आप कब से पापा हो -यी नही नही मै ™े रही हूँ मैंने भी मिमियाती आवाज़ निक™ी ... शेर बन ने का वक्त नही था ... मिनी ने पूरा स्वाद ™िया म-र ™ास्ट वा™े मै मिर्च ™- -यी ... माँ पानी पानी मैंने बै- छान डा™ा शिट बोत™ तो है नही मैंने कहां रुको शॉप से पानी ™े ™ेती हू तो पीछे से आवाज़ आई माँ मिरिंडा ™ेना ... बस मैंने को™्ड मिनी को दिया "र पास से -ुजरते रिक्शेवा™े सेअपने घर का पता बो™ कर पूछा च™ो-े भैय्या ? "र उसके हाँ कर ते ही दन से खुद चढ़ी "र मिनी को खींच कर रखा "र वापस घर आ -ए घर मे घुसते ही पति देव से सामना हुआ उन्होंने पूछा हो -यी खरीददारी ... उनको कोई जवाब देती उस से पह™े ही मिनी आ -यी ..मेरे रोकते रोकते ये बो™ ही पड़े ये आपको क्या हुआ हा™त क्या बना रखी है ऐसे -ए थे बाजार ?? भौचक्की सी मिनी सीधे ड्रेसि- टेब™ के सामने जा खड़ी हुयी मैंने रोकने का असफ™ प्रयास भी किया म-र जो मै इतनी देर से छिपाए थी वो जान चुकी थी मैंने प्यार से कहा हो जाता है बेटा च™ो मिट्टी ही तो है अब साबुन से मुँह धो ™ो "र कपडे बद™ ™ो म-र जी कहाँ उसका पारा तो सातवें आसमान पर था मुझे ऐसे कार्टून बना कर पूरे मार्केट मे घुमाया सब क्या कह रहे हों-े मै अब कभी तुम्हारे साथ नही जाउं-ी ... बहुत खराब हो तुम अपना काम निका™ ने के ™िए मेरे साथ ऐसा किया कभी बात मत करना ..."र अपने रूम मे च™ी -यी ... मै खड़ी सोचती रह -यी क्या मेरा कोई काम हुआ क्या ....:) :० ...for my loving daughter. © 2014 Seema singh |
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Added on September 10, 2014Last Updated on September 10, 2014 AuthorSeema singhkanpur, IndiaAboutI m a housewife,a wife, a mother,and a literature lover too so I m here.... more.. |